जाने कैसा वक्त है ?

वक्त का पता भी नही चलता 
सुबह होती है , साम होती है 
जिन्दगी युही तमाम होती है 
सोचता हूँ खुद में समाहित कर लूँ 
या उन में समाहित हो जाऊ 
जाने क्यों हर बात पर आहत हो जाता हूँ...Read More.

क्या कहुँ कुछ कह नहीं पाता 

जो दिल में था वो तो हमने कब का कह दिया 
जाने कौन सा रॉकेट साइंस है जो उन्हें अब तक समझ नहीं आता 
सायद डरती है जमाने से सबको अहम् बनाती है 
जमाने का क्या?  जीने पर कद्र नहीं करते 
मरने के बाद दुनिया को अहमियत गिनाते है 
मै ये नही कहता कि तुम सिर्फ मुझे चुनो... 
पर तुम उसे चुनो जिसे तुम चाहती हो जिससे तुम्हे ख़ुशी मिले Read More 

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