क्या कहुँ कुछ कह नहीं पाता
जो दिल में था वो तो हमने कब का कह दिया
जाने कौन सा रॉकेट साइंस है जो उन्हें अब तक समझ नहीं आता
सायद डरती है जमाने से सबको अहम् बनाती है
जमाने का क्या? जीने पर कद्र नहीं करते
मरने के बाद दुनिया को अहमियत गिनाते है
मै ये नही कहता कि तुम सिर्फ मुझे चुनो...
पर तुम उसे चुनो जिसे तुम चाहती हो जिससे तुम्हे ख़ुशी मिले
और ये सिर्फ तुम्हारा खुद का फैसला हो ...
वो जो तुम्हारा साथ दे , जहाँ तुम्हे जरुरत हो वहा अपना हाँथ दे।
तुम्हारी जिन्दगी तुम्हारी हो किसी का गुलाम क्यों बनना ?
सायद तुम बोलोगी, "कहना आसान है करना मुश्किल"...
सही है आप... लेकिन नामुमकिन नहीं है,
पर आप उनसे भी तो बात करो जिनको लगता है की आपकी ख़ुशी आपसे
ज्यादा जानते और समझते है
अगर आपकी ख़ुशी चुनने का हक़ उनको है तो
आपकी ख़ुशी किसमें है? ये भी तो जानने का हक है
और मारना ही होता तो पैदा ही क्यों करते ?
उन्हें भी तो मौका दो जानने का समझने का और मिलने का,
हो सकता है हमारी-तुम्हारी कास्ट अलग है पर है तो इंसान ही ना ?
अगर बाँटना ही है तो स्त्री-पुरुष और ट्रांसजेंडर में बाँट लो,
जिसको प्रकृति ने बनाया है, जिसको यही समाज एक उम्र के बाद
साथ रहने की अनुमति देता है और अक्सर अपना निर्णय थोप देता है।
अब भी तुम इस जात-पात से ऊपर उठ कर नहीं देखती तो
उन रूढ़िवादीयो में और तुम में कोई ज्यादा अंतर नहीं है
बल्कि तुम उनसे भी निचे स्तर की सोच रखती हो
जो खुद के लिए भी अपना स्टैंड नहीं ले सकती, बेबस और लचार...
एक राष्ट्र डिफेंस सौदा को समझने और समझौते में सालों साल लग जाते है
जाने कौन सा रॉकेट साइंस है जो उन्हें अब तक समझ नहीं आता
सायद डरती है जमाने से सबको अहम् बनाती है
जमाने का क्या? जीने पर कद्र नहीं करते
मरने के बाद दुनिया को अहमियत गिनाते है
मै ये नही कहता कि तुम सिर्फ मुझे चुनो...
पर तुम उसे चुनो जिसे तुम चाहती हो जिससे तुम्हे ख़ुशी मिले
और ये सिर्फ तुम्हारा खुद का फैसला हो ...
वो जो तुम्हारा साथ दे , जहाँ तुम्हे जरुरत हो वहा अपना हाँथ दे।
तुम्हारी जिन्दगी तुम्हारी हो किसी का गुलाम क्यों बनना ?
सायद तुम बोलोगी, "कहना आसान है करना मुश्किल"...
सही है आप... लेकिन नामुमकिन नहीं है,
पर आप उनसे भी तो बात करो जिनको लगता है की आपकी ख़ुशी आपसे
ज्यादा जानते और समझते है
अगर आपकी ख़ुशी चुनने का हक़ उनको है तो
आपकी ख़ुशी किसमें है? ये भी तो जानने का हक है
और मारना ही होता तो पैदा ही क्यों करते ?
उन्हें भी तो मौका दो जानने का समझने का और मिलने का,
हो सकता है हमारी-तुम्हारी कास्ट अलग है पर है तो इंसान ही ना ?
अगर बाँटना ही है तो स्त्री-पुरुष और ट्रांसजेंडर में बाँट लो,
जिसको प्रकृति ने बनाया है, जिसको यही समाज एक उम्र के बाद
साथ रहने की अनुमति देता है और अक्सर अपना निर्णय थोप देता है।
अब भी तुम इस जात-पात से ऊपर उठ कर नहीं देखती तो
उन रूढ़िवादीयो में और तुम में कोई ज्यादा अंतर नहीं है
बल्कि तुम उनसे भी निचे स्तर की सोच रखती हो
जो खुद के लिए भी अपना स्टैंड नहीं ले सकती, बेबस और लचार...
एक राष्ट्र डिफेंस सौदा को समझने और समझौते में सालों साल लग जाते है
और हमारा - तुम्हारा रिस्ता कुछ लोगो की बातें और अधिकतम कुछ महीने के समय दे कर
जिंदगी भर के लिए हम पर थोप दिया जाता है और सात जन्म साथ निभाने का वादा लिया जाता है
हमारा जीवन इतना सस्ता है क्या ?
फिर तो इस से अच्छा मेरे हिसाब से मच्छर हैं
जो खुद के लिए किसी का भी खून पी सकता है
जबकि पैदा पानी में होता
हमारा जीवन इतना सस्ता है क्या ?
फिर तो इस से अच्छा मेरे हिसाब से मच्छर हैं
जो खुद के लिए किसी का भी खून पी सकता है
जबकि पैदा पानी में होता
जब तक भी उसका जीवन रहता है
लोगो की नींद तक हराम कर देता है
और अंत में लड़ते हुए किसी के हाँथो की दोनों हथेलियों के बिच शहीद हो जाता है
यार हम तो फिर भी इंसान है|
लोगो की नींद तक हराम कर देता है
और अंत में लड़ते हुए किसी के हाँथो की दोनों हथेलियों के बिच शहीद हो जाता है
यार हम तो फिर भी इंसान है|
#whynot
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