Monday, March 7, 2022

परेशान वे वजह है तू

 परेशान वे वजह है तू 

आना लौट कर  यही है 
फिर भागती कहाँ है तू ?

जिंदगी कहाँ है तू ?
तरस गयी है आँखे ,
कब से तेरे दीदार में। 
अब उम्र बीत रही ,
बस तेरे इंतजार में। 

जिंदगी कहाँ है तू ?
कभी मिलो तो ,
कुछ बात हो ,
आँखो में आँखे डाल ;
फिर दो - दो हाथ हो। 

जिंदगी कहाँ है तू ?
जिंदगी तेरी तलाश में ,
तेरे शहर में खो गया हूँ ;
नाम बनाने आया था ,
वेनाम हो गया हूँ। 

 जिंदगी कहाँ है तू ?
वे खवर है तू ?
या अनजान बन रही है ?
जरूर देख रही है मुझे ,
और आँख मिचोली खेल रही है। 

 जिंदगी कहाँ है तू ?
गर्म मौसम भी सर्द महशुस हो रही है ,
तुझे पाने की चाह में ,
दुनिया से बेखबर हो रहा हूँ। 

 जिंदगी कहाँ है तू ?
जमाने की नजर में ,
सुलझा हुआ हूँ मैं ;
कि सिर्फ मुझे पता है,
तेरी चाह में उलझा हुआ हूँ मैं। 

जिंदगी कहाँ है तू ?
जिंदगी मेरा इंसाफ कर दे,
परेशान हो गया हैं तुझ से;
मुनासिब होगा मेरे हिसाब कर दे । 
 जिंदगी कहाँ है तू ?

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