परेशान वे वजह है तू
आना लौट कर यही है
फिर भागती कहाँ है तू ?
जिंदगी कहाँ है तू ?
तरस गयी है आँखे ,
कब से तेरे दीदार में।
अब उम्र बीत रही ,
बस तेरे इंतजार में।
जिंदगी कहाँ है तू ?
कभी मिलो तो ,
कुछ बात हो ,
आँखो में आँखे डाल ;
फिर दो - दो हाथ हो।
जिंदगी कहाँ है तू ?
जिंदगी तेरी तलाश में ,
तेरे शहर में खो गया हूँ ;
नाम बनाने आया था ,
वेनाम हो गया हूँ।
जिंदगी कहाँ है तू ?
वे खवर है तू ?
या अनजान बन रही है ?
जरूर देख रही है मुझे ,
और आँख मिचोली खेल रही है।
जिंदगी कहाँ है तू ?
गर्म मौसम भी सर्द महशुस हो रही है ,
तुझे पाने की चाह में ,
दुनिया से बेखबर हो रहा हूँ।
जिंदगी कहाँ है तू ?
जमाने की नजर में ,
सुलझा हुआ हूँ मैं ;
कि सिर्फ मुझे पता है,
तेरी चाह में उलझा हुआ हूँ मैं।
जिंदगी कहाँ है तू ?
जिंदगी मेरा इंसाफ कर दे,
परेशान हो गया हैं तुझ से;
मुनासिब होगा मेरे हिसाब कर दे ।
जिंदगी कहाँ है तू ?
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