Monday, March 7, 2022

वक्त थम सा गया है,

 वक्त थम सा गया है, 

चाहत मरने लगी है, 
वास्तव में चाहत मरने लगी है, 
सपने जो देखे थे कभी, 
सपने देखने से भी डरने लगा हूँ, 
दिल चाहता है सब थम जाए, 
जो, जहाँ, जैसा है, बस रुक जाए, 
मै सुरुवात फिर से करूँ, 
या सबका अंत अभी हो जाए, 
सबका ना सही पर,
मेरा व् मुझ जैसो का अभी हो जाए, 
ना आँखें नम हो न सपने सुहाने, 
दिल टूटे और सब जर-जर हो जाए, 
जुड़े तो इस शर्त पर,
कर-कर के हम प्रखर हो जाए, 
और कुछ बने तो अपने दम पर, 
हो शून्य श्रम और शून्य से हमारा नाता हो, 
ये चाहत भी शून्य हो और शून्य ही हमारा खाता हो,
श्रम विश्राम कर हो अनंत अंत तक, 
परिणाम शून्य से संख महासंख हो अंत तक,
ये आरजू है अंत तक,
बस यही आरजू है अंत तक... 

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