कुछ दोस्त बने कुछ पुराने थे,
कुछ जो चले गये उनके अपने बहाने थे,
सादगी, सोहार्द सब में पाए है,
जो साथ है, उन्हें दिल से अपनाए है,
तुम्हारी याद अब भी बहोत आती है,
कि अक्सर ही तंग करती, कभी सताती है,
कि पूछती है, कि वादें कहा वो पुराने गये,
कि छोड़ के जिसे तन्हा तुम निभाने गये,
कि आया वक्त जुल्मी सब ढह गया,
कि अभी जो दिख रहा बस यही रह गया,
मौसम, साल बदला, सब सुहाने चले गये,
जो खास थे एक वक्त में वो दोस्त पुराने चले गये,
एक दोस्त मिली थी, तुम्हारे बाद भी,
उनमे बातें भी तुम जैसी थी,
थोड़ी सिरियस थोड़ी खुशमिजाज,
और मस्तीखोर मुझ जैसी थी,
कुछ सोचा कुछ निकला, सब लहजा बदल गया,
कुछ वक्त दिया साथ में,
और फिर तुमसा तनहा छोड़ चला,
फिर कही और चला,
कही दूर सायद बहोत दूर चला...
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