Monday, March 7, 2022

कही खो गया हूँ

 कही खो गया हूँ 

पहले तो तुझ में ही था ?
या तुमसा था ?
अब कुछ और हो चूका हूँ.
चाहत स्थिर है ... 
सपने सितारे बन गये 
कुछ है तो एक बंद मुट्ठी !
एक जेब जो कभी खोली नही,
एक तमन्ना जो सालों पहले टूट गयी 
कुछ है जो है अलौकिक 
रास्ते बंद है अब तक कुछ मिला नही,
न तुम हो !
और तुमसा कोई मिला नही 
सच में कही खो गया हूँ ?
या अब कुछ और हो गया हूँ ?
जिन्दगी पतझड़ सी दिख रही है 
यहाँ खड़ा हर सख्स ठुठा है 
रिश्ते जमीन पे पत्ते से गिरे पड़े है
इनमें पड़ा हर रिश्ता झुठा है  
एक  आस है मौसम बदलेगा 
फिर से बहार आ जाये 
ये सख्स जो अभी ठुठा है 
कही फिर से लहलहा जाये ...
क्या तुम भी वापस आओगी ?.. एक आश है... 
या सच में कही खो गया हूँ ?
या कुछ और हो गया हूँ ?

हे ! सुनो,

 हे ! सुनो, 

जाने कब से बात नही होती ?
तुम बदल रही हो ?
या मौसम का असर है ?
बात होती है पर उसमें कोई बात नही होती 
साथ होती तो हो तुम पर साथ नही होती 
मुझे याद है सुरुवात कैसे हुआ था 
तुम्हे देखा और सब कुछ ठहर गया था 
आँखे मिली और दिल सिहर गया था 
फिर बातों के कैसे अफसाने बनाये थे 
एक दुसरे के दिलो में आसियाने बनाये थे 
बस अपनी ही सुनते थे 
एक दूजे के धुन में रहते थे 
धरती से आसमा के सपने बुनते थे 
तुम साथ थी वक्त का पता भी नही चलता 
तुम जाती तब से 
तुम्हारे लौटने तक इंतजार करता था 
हर बात जो इतना गौर से सुनती थी 
मेरी छोटी से मजाक को हफ्तों बाद 
याद दिलाया करती थी 
सच में ये जान कर मै सहम गया था 
आज कितने दिन हो गये ?
अंदर ही अंदर कितना याद करते है 
पर बहार कही नही दिखती हो 

कुछ दोस्त बने कुछ पुराने थे,

 कुछ दोस्त बने कुछ पुराने थे, 

कुछ जो चले गये उनके अपने बहाने थे, 
सादगी, सोहार्द सब में पाए है, 
जो साथ है, उन्हें दिल से अपनाए है, 
तुम्हारी याद अब भी बहोत आती है, 
कि अक्सर ही तंग करती, कभी सताती है, 
कि पूछती है, कि वादें कहा  वो पुराने गये, 
कि छोड़ के जिसे तन्हा तुम निभाने गये, 
कि आया वक्त जुल्मी सब ढह गया, 
कि अभी जो दिख रहा बस यही रह गया, 
मौसम, साल बदला, सब सुहाने चले गये, 
जो खास थे एक वक्त में वो दोस्त पुराने चले गये, 
एक दोस्त मिली थी, तुम्हारे बाद भी, 
उनमे बातें भी तुम जैसी थी, 
थोड़ी सिरियस थोड़ी खुशमिजाज,
और मस्तीखोर मुझ जैसी थी, 
कुछ सोचा कुछ निकला, सब लहजा बदल गया, 
कुछ वक्त दिया साथ में, 
और फिर तुमसा तनहा छोड़ चला, 
फिर कही और चला, 
कही दूर सायद बहोत दूर चला... 
        
              



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